सोमवार, 29 जून 2020

भारत और चीन संबंध


भारत और चीन दोनों ही पड़ोसी देश है। विश्व स्तर पर देखा जाए तो दोनों ही देशों की गिनती विकासशील देशों में की जाती है। जनसंख्या के मामले में भी दोनों देश विश्व स्तर पर आगे है। दोनों के बीच लम्बी सीमा-रेखा है। इन दोनों में प्रचीन काल से ही सांस्कृतिक तथा आर्थिक सम्बन्ध रहे हैं। भारत से बौद्ध धर्म का प्रचार चीन की भूमि पर हुआ है। चीन के लोगों ने प्राचीन काल से ही बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण करने के लिए भारत के विश्वविद्यालयों अर्थात् नालन्दा विश्वविद्यालय एवं तक्षशिला विश्वविद्यालय को चुना था क्योंकि उस समय संसार में अपने तरह के यही दो विश्वविद्यालय शिक्षा के महत्वपूर्ण केन्द्र थे। उस काल में यूरोप के लोग जंगली अवस्था में थे। इस तरह देखा जाए तो भारत और चीन दोनों ही देशों के बीच बहुत पुराना रिश्ता रहा है। लेकिन वर्तमान में देखा जाए तो सीमा विवाद और कुछ विवाद दोनों देशों के बीच गरमाया रहता है। वर्तमान स्थिति में दोनों देशों के संबंध के बारे में समझने के लिए दोनों देशों के बीच प्राचीन काल से ही क्या संबंध रहा है इसको समझना बहुत जरूरी है। जैसा कि बताया कि भारत और चीन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध रहा है। 
भारत और चीन संबंध


1946 में चीन के साम्यवादी शासन की स्थापना हुई। दोनों देशों के बीच मैत्री सम्बन्ध बराबर बने रहे। जापानी साम्राज्यवाद के विरूद्ध चीन के संघर्ष के प्रति भारत द्वारा सहानभूति प्रकट की गई एवं पंचशील पर आस्था भी प्रकट की गई। वर्ष 1949 में नये चीन की स्थापना के बाद आने वाले अगले वर्ष, भारत ने चीन के साथ राजनयिक सम्बन्ध स्थापित किये। इस तरह भारत, चीन लोक गणराज्य को मान्यता देने वाला प्रथम गैर-समाजवादी देश बना। इसके बाद चीन और भारत दोनों देशों के बीच बहुत सारे विवाद भी हुए तथा बहुत सारी राजनीतिक मुलाकात भी हुई। चीन ने सन 1962 में भारत पर आक्रमण कर दिया और भारत की बहुत सारी जमीन पर कब्जा कर लिया । इतना सब कुछ करने के बाद चीन ने 21 नवंबर सन 1962 युद्ध विराम की घोषणा कर दी यह निर्णय एकपक्षीय था। इस तरह 1962 के बाद से लेकर वर्तमान तक चीन और भारत दोनों की स्थितियां सामान्य नहीं हो पाई । बीच-बीच में विवाद बहुत बड़ा रूप ले लेती है।
          भारत और चीन के बीच बहुत बड़ा आर्थिक संबंध भी है। दोनों देशों के द्वारा एक दूसरे के देश में आर्थिक निवेश किया जाता है।चीन और भारत के बीच अरबों डॉलर का व्यापार है। 2008 में चीन भारत का सबसे बड़ा बिज़नेस पार्टनर बन गया था। 2014 में चीन ने भारत में 116 बिलियन डॉलर का निवेश किया जो 2017 में 160 बिलियन डॉलर हो गया। 2018-19 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 88 अरब डॉलर रहा। यह बात महत्वपूर्ण है कि पहली बार भारत, चीन के साथ व्यापार घाटा 10 अरब डॉलर तक कम करने में सफल रहा।चीन वर्तमान में भारतीय उत्पादों का तीसरी बड़ा निर्यात बाजार है। वहीं चीन से भारत सबसे ज्यादा आयात करता है और भारत, चीन के लिए उभरता हुआ बाज़ार है। चीन से भारत मुख्यतः इलेक्ट्रिक उपकरण, मेकेनिकल सामान, कार्बनिक रसायनों आदि का आयात करता है। वहीं भारत से चीन को मुख्य रूप से, खनिज ईंधन और कपास आदि का निर्यात किया जाता है। भारत में चीनी टेलिकॉम कंपनियाँ 1999 से ही हैं और वे काफी पैसा कमा रही हैं। इनसे भारत को भी लाभ हुआ है। भारत में चीनी मोबाइल का मार्केट भी बहुत बड़ा है। चीन दिल्ली मेट्रो में भी लगा हुआ है। दिल्ली मेट्रो में एसयूजीसी (शंघाई अर्बन ग्रुप कॉर्पोरेशन) नाम की कंपनी काम कर रही है। भारतीय सोलर मार्केट चीनी उत्पाद पर निर्भर है। इसका दो बिलियन डॉलर का व्यापार है। भारत का थर्मल पावर भी चीनियों पर ही निर्भर है। पावर सेक्टर के 70 से 80 फीसदी उत्पाद चीन से आते हैं। इस तरह चीन का भारत के साथ बहुत बड़ा व्यापारिक संबंध भी है।




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4 टिप्‍पणियां:

  1. You are dealing a topic accordingly current situation. Great !!!

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  2. It's acceptable that we are doing trade with China since long time but now time come to break all the relationship with China because Chines not understanding the language of love. Chinese traitors are being betrayed

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  3. You are telling right. China can not understand love. They have been looking their own benifits always. I have written in my blog. Thanks for your valuable comment Yogendra. Please support

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