श्री जगन्नाथ रथ यात्रा को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं। स्कंद पुराण के अनुसार एक दिन भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा प्रभु जगन्नाथ के सामने प्रकट की और द्वारका के दर्शन कराने की प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान जगन्नाथ ने उनकी इच्छा की पूर्ति के लिए उन्हें रथ में बैठाकर नगर का भ्रमण करवाया। जिसके बाद से यहां हर साल जगन्नाथ रथयात्रा निकाली जाती हैं।
हमारे भारत देश के उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। यह भारतीय संस्कृति की मुख्य धरोहर है । उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा जी और श्रीकृष्ण जी की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी ही हैं। इसी के प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ जी से सम्पूर्ण जगत का उद्भव हुआ है। श्री जगन्नाथ जी पूर्ण परात्पर भगवान है और श्रीकृष्ण उनकी कला का एक रूप है। ऐसी मान्यता श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य पंच सखाओं की है। श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा यही से निकाली जाती है । इनका हमारी भारतीय संस्कृति मे विशेष महत्व है ।
पूर्ण परात्पर भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरम्भ होती है। यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है। इसमें भाग लेने के लिए, इसके दर्शन लाभ के लिए हज़ारों, लाखों की संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं।
श्री जगन्नाथ रथ यात्रा के तीनों रथ लकड़ी के बने होते हैं जिन्हें श्रद्धालु खींचकर चलाते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए लगे होते हैं एवं भाई बलराम के रथ में 14 व बहन सुभद्रा के रथ में 12 पहिए लगे होते हैं मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस रथयात्रा में शामिल होकर इस रथ को खींचता है उसे सौ यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। यही इस रथ यात्रा की खाशीयत कही जा सकती है । इस रथ यात्रा मे श्रद्धालुओ की भीड भगवान के प्रति श्रद्धा एवम् अटुट प्रेम को प्रदर्शित करती है।
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इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलरामजी तीनों के रथ अलग-अलग होते हैं। इन तीनों रथों को नगर में भ्रमण करवाया जाता है और फिर ये तीनों अपनी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर जाते हैं। यहां विभिन्न प्रकार के 56 भोग लगाकर तीनों की खातिरदारी की जाती है।
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🙏🙏🙏 धन्यवाद् 🙏🙏🙏
आपके द्वारा बताया गया जानकारी ज्ञानप्रद है। आपका यह प्रयास बहुत अच्छा है।
जवाब देंहटाएंआदरणीय, आपका बहुत बहुत आभार ।
हटाएंबहुत ही अच्छा। हमारे देश के संस्कृति के बारे में लोगों को बताना बहुत ही सराहनीय काम है। इसी तरह लिखते रहो।
जवाब देंहटाएंआपका धन्यवाद् महोदय ।
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